इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में इसराइल की फिर बढ़ेंगी मुश्किलें?

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी आईसीजे फ़लस्तीनी क्षेत्र में इसराइल के क़ब्ज़े से जुड़े मामले पर सुनवाई शुरू कर रहा है. द हेग स्थित आईसीजे इस बात की सुनवाई करेगा कि 1967 में छह दिन के युद्ध के बाद इसराइल ने फ़लस्तीन के इलाक़ों में जो क़ब्ज़ा किया, वो वैध था या नहीं? समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, आईसीजे में 50 से ज़्यादा देश दलीलें पेश करेंगे. केस पर सुनवाई 26 फरवरी तक होगी. फ़लस्तीनी पक्ष को उम्मीद है कि आईसीजे की राय दो राष्ट्र सिद्धांत को बनाने में मदद करेगी. 20 साल पहले भी आईसीजे में ऐसे ही एक केस की सुनवाई हुई थी. तब कोर्ट ने कहा था कि वेस्ट बैंक में इसराइल की बनाई दीवार से अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन हुआ है. इसराइल ने इस फ़ैसले को तब नज़रअंदाज किया था. आईसीजे में कुछ दिन पहले दक्षिण अफ्रीका के दायर किए मुकदमे पर भी सुनवाई हुई थी. दक्षिण अफ्रीका ने इसराइल पर ग़ज़ा में जनसंहार करने का आरोप लगाया था. जनवरी में आईसीजे ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि इसराइल इस संघर्ष में फ़लस्तीनियों को नुकसान से बचाने की दिशा में हर संभव प्रयास करे. आईसीजे के फ़ैसले बाध्यकारी तो होते हैं, लेकिन ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे उन्हें लागू करवाया जा सके. इसराइल खुद पर लगे जनसंहार के आरोपों को यह कहते हुए खारिज करता है कि आम फ़लस्तीनियों को जो नुक़सान पहुंच रहा है, उसके लिए फ़लस्तीनी चरमपंथी समूह हमास ज़िम्मेदार है.(bbc.com/hindi)

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में इसराइल की फिर बढ़ेंगी मुश्किलें?
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी आईसीजे फ़लस्तीनी क्षेत्र में इसराइल के क़ब्ज़े से जुड़े मामले पर सुनवाई शुरू कर रहा है. द हेग स्थित आईसीजे इस बात की सुनवाई करेगा कि 1967 में छह दिन के युद्ध के बाद इसराइल ने फ़लस्तीन के इलाक़ों में जो क़ब्ज़ा किया, वो वैध था या नहीं? समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, आईसीजे में 50 से ज़्यादा देश दलीलें पेश करेंगे. केस पर सुनवाई 26 फरवरी तक होगी. फ़लस्तीनी पक्ष को उम्मीद है कि आईसीजे की राय दो राष्ट्र सिद्धांत को बनाने में मदद करेगी. 20 साल पहले भी आईसीजे में ऐसे ही एक केस की सुनवाई हुई थी. तब कोर्ट ने कहा था कि वेस्ट बैंक में इसराइल की बनाई दीवार से अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन हुआ है. इसराइल ने इस फ़ैसले को तब नज़रअंदाज किया था. आईसीजे में कुछ दिन पहले दक्षिण अफ्रीका के दायर किए मुकदमे पर भी सुनवाई हुई थी. दक्षिण अफ्रीका ने इसराइल पर ग़ज़ा में जनसंहार करने का आरोप लगाया था. जनवरी में आईसीजे ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि इसराइल इस संघर्ष में फ़लस्तीनियों को नुकसान से बचाने की दिशा में हर संभव प्रयास करे. आईसीजे के फ़ैसले बाध्यकारी तो होते हैं, लेकिन ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे उन्हें लागू करवाया जा सके. इसराइल खुद पर लगे जनसंहार के आरोपों को यह कहते हुए खारिज करता है कि आम फ़लस्तीनियों को जो नुक़सान पहुंच रहा है, उसके लिए फ़लस्तीनी चरमपंथी समूह हमास ज़िम्मेदार है.(bbc.com/hindi)