ताइवान की श्रम मंत्री ने भारतीय कामगारों के खिलाफ ‘नस्ली’ टिप्पणी को लेकर माफी मांगी

(के.जे.एम. वर्मा) बीजिंग/ताइपे, 7 मार्च। ताइवान की श्रम मंत्री ह्सु मिंग चुन ने एक विशेष क्षेत्र के भारतीय कामगारों की भर्ती करने की अपनी सरकार की योजना को लेकर की गई अनुचित टिप्पणी के लिए माफी मांगी हैं। भारतीय कामगारों को लेकर उनकी नस्ली टिप्पणी की कड़ी आलोचना हुई थी। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने हाल में एक बयान जारी कर बताया था कि भारत और ताइवान के लोगों के बीच के संबंधों को बढ़ावा देने और ताइवान के उद्योगों में श्रम बल की कमी को दूर करने के लिए द्वीपीय देश ने 16 फरवरी को भारत के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत भारतीय श्रमिकों की भर्ती की योजना है। ताइवान सेंटल न्यूज एजेंसी (सीएनए) ने मंगलवार को खबर दी थी कि भर्ती योजना की रूपरेखा पेश करते हुए श्रम मंत्री ने ताइवान के एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में कहा कि उनका मंत्रालय सबसे पहले पूर्वोत्तर भारत से कामगारों की भर्ती करेगा क्योंकि उनकी त्वचा का रंग और खान-पान की आदतें हमारे करीब हैं। इसके साथ ही ह्सु ने कहा था कि वहां ज्यादातर लोग ईसाई हैं जो विनिर्माण, निर्माण और खेती में माहिर हैं। खबर के मुताबिक ह्सु ने कहा कि भर्ती की रणनीति विदेश मंत्रालय के आकलन पर आधारित है। उनकी टिप्पणियों की सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के सांसद चेन कुआन-टिंग ने तीखी आलोचना की। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किया, ह्सु की टिप्पणी की कड़ी आलोचना करता हूं, त्वचा का रंग और नस्ल प्रवासी कामगारों की भर्ती का आधार नहीं होना चाहिए। टिंग ने एक वीडियो पोस्ट में कहा, संसद सदस्य होने के नाते मैं कहना चाहता हूं कि ताइवान सभी वयक्ति को महत्व देता है भले ही वे किसी भी नस्ल, संस्कृति या धर्म के हों। मेरा मजबूती से मानना है कि सभी पृष्ठभूमि के लोग सम्मान के हकदार हैं और मैं इस सिद्धांत को ताइवान में कायम रखने को प्रतिबद्ध हूं। संसदीय सुनवाई के दौरान मंगलवार सुबह ह्सु ने अपनी अनुचित टिप्पणी के लिए माफी मांगी। सीएनए की खबर के मुताबिक उन्होंने कहा कि ताइवान की श्रम नीति चाहे वह स्थानीय कामगार के लिए हो या विदेशी कामगारों के लिए, समानता के आधार पर है और भेदभावपूर्ण नहीं है। ताइवान के श्रम मंत्रालय ने भी ह्सु की टिप्पणी को लेकर माफी मांगी और कहा कि मंत्री की टिप्पणी का अभिप्राय भेदभाव से नहीं था। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने भी मंगलवार को एक बयान में भारतीय श्रमिकों की भर्ती के संबंध में ताइवान की सरकारी एजेंसियों की टिप्पणी के लिए माफी मांगी।(भाषा)

ताइवान की श्रम मंत्री ने भारतीय कामगारों के खिलाफ ‘नस्ली’ टिप्पणी को लेकर माफी मांगी
(के.जे.एम. वर्मा) बीजिंग/ताइपे, 7 मार्च। ताइवान की श्रम मंत्री ह्सु मिंग चुन ने एक विशेष क्षेत्र के भारतीय कामगारों की भर्ती करने की अपनी सरकार की योजना को लेकर की गई अनुचित टिप्पणी के लिए माफी मांगी हैं। भारतीय कामगारों को लेकर उनकी नस्ली टिप्पणी की कड़ी आलोचना हुई थी। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने हाल में एक बयान जारी कर बताया था कि भारत और ताइवान के लोगों के बीच के संबंधों को बढ़ावा देने और ताइवान के उद्योगों में श्रम बल की कमी को दूर करने के लिए द्वीपीय देश ने 16 फरवरी को भारत के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत भारतीय श्रमिकों की भर्ती की योजना है। ताइवान सेंटल न्यूज एजेंसी (सीएनए) ने मंगलवार को खबर दी थी कि भर्ती योजना की रूपरेखा पेश करते हुए श्रम मंत्री ने ताइवान के एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में कहा कि उनका मंत्रालय सबसे पहले पूर्वोत्तर भारत से कामगारों की भर्ती करेगा क्योंकि उनकी त्वचा का रंग और खान-पान की आदतें हमारे करीब हैं। इसके साथ ही ह्सु ने कहा था कि वहां ज्यादातर लोग ईसाई हैं जो विनिर्माण, निर्माण और खेती में माहिर हैं। खबर के मुताबिक ह्सु ने कहा कि भर्ती की रणनीति विदेश मंत्रालय के आकलन पर आधारित है। उनकी टिप्पणियों की सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के सांसद चेन कुआन-टिंग ने तीखी आलोचना की। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किया, ह्सु की टिप्पणी की कड़ी आलोचना करता हूं, त्वचा का रंग और नस्ल प्रवासी कामगारों की भर्ती का आधार नहीं होना चाहिए। टिंग ने एक वीडियो पोस्ट में कहा, संसद सदस्य होने के नाते मैं कहना चाहता हूं कि ताइवान सभी वयक्ति को महत्व देता है भले ही वे किसी भी नस्ल, संस्कृति या धर्म के हों। मेरा मजबूती से मानना है कि सभी पृष्ठभूमि के लोग सम्मान के हकदार हैं और मैं इस सिद्धांत को ताइवान में कायम रखने को प्रतिबद्ध हूं। संसदीय सुनवाई के दौरान मंगलवार सुबह ह्सु ने अपनी अनुचित टिप्पणी के लिए माफी मांगी। सीएनए की खबर के मुताबिक उन्होंने कहा कि ताइवान की श्रम नीति चाहे वह स्थानीय कामगार के लिए हो या विदेशी कामगारों के लिए, समानता के आधार पर है और भेदभावपूर्ण नहीं है। ताइवान के श्रम मंत्रालय ने भी ह्सु की टिप्पणी को लेकर माफी मांगी और कहा कि मंत्री की टिप्पणी का अभिप्राय भेदभाव से नहीं था। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने भी मंगलवार को एक बयान में भारतीय श्रमिकों की भर्ती के संबंध में ताइवान की सरकारी एजेंसियों की टिप्पणी के लिए माफी मांगी।(भाषा)