नवरात्रि की अष्टमी पर इस तरह करें मां महागौरी की पूजा

मिलेगी माता रानी की कृपा चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन भक्तों के लिए बेहद खास होता है. इस बार अष्टमी मंगलवार, 16 अप्रैल 2024 को है. इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-आराधना की जाती है. हिंदू धर्म में महाअष्टमी का विशेष महत्व होता है. इस दिन कन्यापूजन भी कराया जाता है. कहा जाता है कि मां महागौरी की सच्चे मन और अनुशासन से पूजा करने पर हर तरह के पाप मिट जाते हैं और महिलाओं को अखंड सुहाग सौभाग्य की प्राप्ति होती है. यहां जानिए अष्टमी पर मां महागौरी की पूजा करने के नियम और उनका अत्यंत प्रिय भोग क्या है. मां महागौरी पूजा या दुर्गा महाअष्टमी पूजा- चैत्र नवरात्रि में बहुत से भक्त 9 दिन का उपवास रखते हैं और कुछ सिर्फ प्रतिपदा और अष्टमी तिथि के दिन ही व्रत रखते हैं. देवीभगवत् पुराण के अनुसार, नवरात्रि के 8वें दिन की पूजा मां दुर्गा के मूल भाव की पूजा होती है. महादेव के साथ उनकी पत्नी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान होती हैं. यही कारण है कि उन्हें शिवा नाम से भी पुकारा जाता है. मां महागौरी का स्वरूप कैसा है- मां महागौरी का स्वरूप उज्जवल कोमल, श्वेत वर्ण, श्वेत वस्त्रधारी है. अपने भक्तों के लिए मां अन्नपूर्णा स्वरूप हैं. उनकी चार भुजाएं हैं और मां बैल की सवारी करती हैं. देवी मां के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू है. एक हाथ अभय और एक वरमुद्रा में है. हाथ डमरू होने से ही मां को शिवा भी कहा जाता है. मां का यह स्वरूप बेहद शांत है. उन्हें संगीत-भजन अत्यंत प्रिय है. मान्यता है कि मां की पूजा करने से ही हर तरह के दुख नष्ट हो जाते हैं. मां महागौरी मंत्र का प्रिय भोग- महाअष्टमी के दिन 'या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता..' इस मंत्र से मां की पूजा करनी चाहिए. उन्हें भोग (Bhog) में नारियल और चीनी की मिठाई बनाकर चढ़ाना चाहिए. माता का प्रिय रंग सफेद है. उन्हें इसी रंग के फूल अर्पित करने चाहिए. इससे जीवन खुशहाल होता है. मां महागौरी की पूजा विधि- महाअष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. मां का ध्यान करें और उनकी प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं. कलश की पूजा और मां दुर्गा की आराधना करें. मां को सफेद रंग के वस्त्र, पुष्प चढ़ाएं. रोली कुमकुम लगाएं. मां को मिष्ठान, पंच मेवा, नारियल, फल भोग लगाएं. उन्हें काले चने का भोग भी अवश्य लगाएं. इस दिन कन्या पूजन होता है जिसका विशेष महत्व है. अब घी का दीपक और धूप जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें, महागौरी मंत्र, स्तुति करें. अब आरती कर प्रसाद सभी को बांटें. माता के नौ सिद्ध शक्तिपीठ- कालीघाट मंदिर, अम्बाजी का मंदिर, हर सिद्धि माता मंदिर, ज्वाला देवी मंदिर, कामख्या देवी मंदिर, तारापीठ, नैना देवी मंदिर, श्रीवज्रेश्वरी देवी मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर। माता रानी के इन सिद्ध शक्तिपीठों में दर्शन कर भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और देवी की कृपा प्राप्त होती है।नवरात्रि के पावन दिनों पर इन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है माना जाता है कि यहां दर्शन व पूजन करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती है और सुख समृद्धि व शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

नवरात्रि की अष्टमी पर इस तरह करें मां महागौरी की पूजा
मिलेगी माता रानी की कृपा चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन भक्तों के लिए बेहद खास होता है. इस बार अष्टमी मंगलवार, 16 अप्रैल 2024 को है. इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-आराधना की जाती है. हिंदू धर्म में महाअष्टमी का विशेष महत्व होता है. इस दिन कन्यापूजन भी कराया जाता है. कहा जाता है कि मां महागौरी की सच्चे मन और अनुशासन से पूजा करने पर हर तरह के पाप मिट जाते हैं और महिलाओं को अखंड सुहाग सौभाग्य की प्राप्ति होती है. यहां जानिए अष्टमी पर मां महागौरी की पूजा करने के नियम और उनका अत्यंत प्रिय भोग क्या है. मां महागौरी पूजा या दुर्गा महाअष्टमी पूजा- चैत्र नवरात्रि में बहुत से भक्त 9 दिन का उपवास रखते हैं और कुछ सिर्फ प्रतिपदा और अष्टमी तिथि के दिन ही व्रत रखते हैं. देवीभगवत् पुराण के अनुसार, नवरात्रि के 8वें दिन की पूजा मां दुर्गा के मूल भाव की पूजा होती है. महादेव के साथ उनकी पत्नी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान होती हैं. यही कारण है कि उन्हें शिवा नाम से भी पुकारा जाता है. मां महागौरी का स्वरूप कैसा है- मां महागौरी का स्वरूप उज्जवल कोमल, श्वेत वर्ण, श्वेत वस्त्रधारी है. अपने भक्तों के लिए मां अन्नपूर्णा स्वरूप हैं. उनकी चार भुजाएं हैं और मां बैल की सवारी करती हैं. देवी मां के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू है. एक हाथ अभय और एक वरमुद्रा में है. हाथ डमरू होने से ही मां को शिवा भी कहा जाता है. मां का यह स्वरूप बेहद शांत है. उन्हें संगीत-भजन अत्यंत प्रिय है. मान्यता है कि मां की पूजा करने से ही हर तरह के दुख नष्ट हो जाते हैं. मां महागौरी मंत्र का प्रिय भोग- महाअष्टमी के दिन 'या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता..' इस मंत्र से मां की पूजा करनी चाहिए. उन्हें भोग (Bhog) में नारियल और चीनी की मिठाई बनाकर चढ़ाना चाहिए. माता का प्रिय रंग सफेद है. उन्हें इसी रंग के फूल अर्पित करने चाहिए. इससे जीवन खुशहाल होता है. मां महागौरी की पूजा विधि- महाअष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. मां का ध्यान करें और उनकी प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं. कलश की पूजा और मां दुर्गा की आराधना करें. मां को सफेद रंग के वस्त्र, पुष्प चढ़ाएं. रोली कुमकुम लगाएं. मां को मिष्ठान, पंच मेवा, नारियल, फल भोग लगाएं. उन्हें काले चने का भोग भी अवश्य लगाएं. इस दिन कन्या पूजन होता है जिसका विशेष महत्व है. अब घी का दीपक और धूप जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें, महागौरी मंत्र, स्तुति करें. अब आरती कर प्रसाद सभी को बांटें. माता के नौ सिद्ध शक्तिपीठ- कालीघाट मंदिर, अम्बाजी का मंदिर, हर सिद्धि माता मंदिर, ज्वाला देवी मंदिर, कामख्या देवी मंदिर, तारापीठ, नैना देवी मंदिर, श्रीवज्रेश्वरी देवी मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर। माता रानी के इन सिद्ध शक्तिपीठों में दर्शन कर भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और देवी की कृपा प्राप्त होती है।नवरात्रि के पावन दिनों पर इन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है माना जाता है कि यहां दर्शन व पूजन करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती है और सुख समृद्धि व शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।